PGD प्रक्रिया की मार्गदर्शिका
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चरण 1 और 2 : निम्न विनियम
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प्राकृतिक मादा हॉर्मोन चक्र का उद्दीपन
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चरण 3 : अंडाणु संग्रह
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चरण 4 : फर्टिलाइजेशन
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चरण 5 : भ्रूण विकास का चुनाव
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चरण 6 : भ्रूण स्थानांतरण
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चरण 7 : चिकित्सा के बाद समर्थन और गर्भधारण
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चरण 1 और 2
निम्न विनियम और प्राकृतिक मादा हॉर्मोन चक्र का उद्दीपन।
एकाधिक अंडाणुओं का उपलब्ध होना आवश्यक है ताकि हमारे एम्ब्रियोलॉजिस्ट्स, लिंग के चुनाव से पहले सहभागी के शुक्राणु से कई अंडाणुओं को फर्टिलाइज़ कर सकें और चुने हुए एम्ब्रोयोज़ को महिला की बच्चेदानी में स्थानांतरित कर सकें।
1. हम स्त्री के स्वाभाविक हॉर्मोन्स को, 14 दिन तक नाक द्वारा स्प्रे करके, निम्न-विनियम करते हैं। इससे उन हॉर्मोन्स का स्राव, जो सामान्यतः अंडाशय को उद्दीपित करते हैं, बन्द हो जाता है। नाक द्वारा स्प्रे किया जाना मासिक धर्म चक्र के 21वें दिन आरम्भ किया जाता है और 14 दिन तक इसका उपयोग किया जाता है। इसके बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि निम्न-विनियम पूरा हो चुका है, स्त्री के मासिक धर्म की समाप्ति पर,स्प्रे का उपयोग करते हुए एक जांच, रक्त परीक्षण या स्कैन किया जाता है।
2. उद्दीपन चरण, जिसमें अंडाशय को कई एग फॉलिकल्स बनाने के लिए प्रेरित करने के लिए, 10 से 14 दिन तक, सब-क्यूटेनियस इंजेक्शन द्वारा, प्रतिदिन मानव गोनाडोट्रोफिन हॉर्मोन (अंडाणुओं को परिपक्व करने वाले हॉर्मोन) के इंजेक्शन दिए जाते हैं। यह निर्धारित करने के लिए कि प्रत्येक अंडाशय (ओवरी) में फॉलिक्यूलर किस गति से बढ़ रहे हैं, कई स्कैन किए जाते हैं और फॉलिक्यूलर के विकास की पुष्टि करने के लिए और भी रक्त परीक्षण किए जा सकते हैं।
3. 10 या 11 दिनों के बाद, फॉलिकल के परिपक्व होने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए और फॉलिकल्स को अंडाणु संग्रह के लिए तैयार करने के लिए, एक अलग तरह का हॉर्मोन दिया जाता है। यह चिकित्सा का अंतिम चरण है, जिसके बाद युगल को, बाकी बचे चरण पूरे करने के लिए, विदेश स्थित हमारे सम्बद्ध क्लीनिक की यात्रा करनी पड़ती है।
चरण 3 : अंडाणु संग्रह
इस सीधी-सरल पद्धति में 30-40 मिनट लगते हैं और अक्सर इसे स्थानीय संवेदन शून्यता के अंतर्गत किया जाता है। स्कैनर मॉनीटर पर सही-सही छवि दिखाने के लिए, अंडाणुओं का संग्रह योनिगत अल्ट्रासाउंड की सहायता से किया जाता है, ताकि बिल्कुल सही कार्य-निष्पादन सुनिश्चित किया जा सके। इस पद्धति में योनि में सुई डालकर प्रत्येक फॉलिक से द्रव निकाला जाता है। प्रत्येक फॉलिकल से प्राप्त द्रव साथ की प्रयोगशाला में काम कर रहे एम्ब्रियोलॉजिस्ट को सीधे ही भेज दिया जाता है। एक अंडाणु प्राप्त करने के बाद, स्त्री रोग विशेषज्ञ दूसरे परिपक्व फॉलिकल की तलाश करेगा - सामान्यतः प्रत्येक अंडाशय से 6 फॉलिकल्स लिए जाएंगे, जिससे लगभग 12 अंडाणु तैयार होंगे।
चरण 4 : फर्टिलाइजेशन
'अंडाणुओं को उपजाने' के बाद, पुरुष के वीर्य का नमूना सावधानीपूर्वक तैयार किया जाएगा, जिसके बाद इसका उपयोग इन्ट्रा-साइप्टोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) या मानक IVF कृत्रिम गर्भाधान पद्धति में किया जाएगा, ताकि फर्टिलाइजेशन यथासम्भव उच्चतम दर प्राप्त की जा सके। फर्टिलाइज़ किए हुए अंडाणु, जो अब तक भ्रूण बन चुके हैं, को 8 - 16 कोशिकाओं के चरण तक विकसित होने दिया जाता है।
चरण 5 : भ्रूण का चुनाव
फर्टिलाइजेशन के बाद अक्सर 3-4 दिन तक, नए भ्रूण का पर्याप्त विकास हो चुका होता है, जिससे क्लीनिक की एम्ब्रियोलॉजी टीम, PGD के उपायों से, अलग-अलग भ्रूणों के लिंग का निर्धारण कर सकते हैं। हमारा लक्ष्य होता है कि युगल द्वारा चुने गए लिंग के 2 या 3 भ्रूण महिला के गर्भ में पहुंचा दें।
चरण 6 : भ्रूण का स्थानांतरण
बहुत-से युगलों को उस क्षण की प्रतीक्षा रहती है, जब उनके भ्रूण, एक बहुत बारीक कैथेटर का उपयोग करते हुए, प्रयोगशाला से गर्भाशय में स्थानांतरित किए जाते हैं। यह काम बड़ी जल्दी पूरा हो जाता है और इसमें कोई दर्द नहीं होता। योनि में एक स्पेक्यूलम डाल कर सर्विक्स (गर्भ तक जाने का संकरा मार्ग) का पता लगाया जाता है और उसके बाद कैथेटर की नोक सर्वाइकल केनाल होते हुए गर्भाशय तक पहुंचा दी जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कैथेटर की नोक गर्भाशय में यथासम्भव सही स्थान पर है, अक्सर पेडू क्षेत्र को स्कैन किया जाता है। अंत में, जब स्त्रीरोग विशेषज्ञ को सबसे सही स्थान का पता चल जाता है, तो भ्रूणों को धीरे-से सिरिंज द्वारा स्थानांतरित कर दिया जाता है और वे गर्भ की भीतरी सतह पर स्थित हो जाते हैं।
भ्रूण के स्थानांतर के बाद कुछ देर तक आरम्भ करके, हमारी महिला मरीज़, एक सफल और सुखी गर्भाधान की उम्मीद के साथ, अपने सहभागी से मिलने के लिए तैयार हो जाती है।
कई बार पूछा जाने वाला एक प्रश्न है :"भ्रूणों के आरोपण की सफलता को अधिकतम करने के लिए मैं क्या कर सकती हूं?" जवाब, वास्तव में है, भ्रूण के स्थानांतरण के बाद लगभग एक सप्ताह तक, भारी बोझ उठाने, मेहनत के काम या अधिक उत्साह से घर के काम-काज करने से बचने के अलावा, ज़्यादा कुछ भी नहीं। और, निस्संदेह, महिला सहभागी को अधिक थकान या तनाव से भी बचना चाहिए। परन्तु, सभी सामान्य परिस्थितियों में वह अपना सम्पूर्ण, सक्रिय जीवन फिर से शुरू कर सकती है, और उचित हो, तो काम पर भी जा सकती है।
चरण 7 : चिकित्सा के बाद समर्थन और गर्भधारण
अंडाणु संग्रह करने के बाद, हम महिला को प्रोजेस्टेरोन - वह हॉर्मोन जो गर्भाशय की लाइनिंग (एंडोमीट्रियम) का पोषण करता है और भ्रूण-रोपण प्रोत्साहित करता है - दिया जाता है। भ्रूण स्थानांतरण के बाद, अक्सर इसे पांच या छः सप्ताह तक दिया जाता है, लेकिन गर्भावस्था में आगे भी यह हॉर्मोन देते रहना कोई असामान्य बात नहीं है। लगभग 12वें सप्ताह में हॉर्मोन द्वारा समर्थन का काम प्लेसेन्टा करने लगता है।
PGD द्वारा कराए गए ज़्यादातर गर्भधारणों में, साधारण प्रसव-पूर्व देखभाल जो सामान्यतः युगल की स्थानीय स्वास्थ्य सेवा द्वारा दी जाती है, से अधिक और कुछ ज़रुरी नहीं होता। लेकिन, भ्रूण के सफल स्थानांतरण के बाद रेन्सबरी क्लीनिक से आपके चले जाने के बाद हमारी सम्बद्धता समाप्त नहीं हो जाती - और हम सभी युगलों से कहते हैं कि वे हमसे निकट सम्पर्क बनाए रखें और किसी भी चिंता या परेशानी की हमें फौरन जानकारी दें। गर्भावस्था से कई तरह के प्रतिकूल असर हो सकते हैं और कोई भी दो गर्भावस्थाएं एक जैसी नहीं होतीं। जो भी परेशानियां हमारे ध्यान में लाई जाती हैं उन पर शीघ्रता और कारगर ढंग से कार्रवाई की जाती है। लेकिन यदि कभी भी, कोई युगल गर्भावस्था के किसी भी पहलू को लेकर चिंतित हो, तो हम यह व्यवस्था करेंगे कि सहभागियों से मुलाकात की जाए - उनके घर के जितने भी पास हो सके - और आवश्यक परीक्षण और जांच की जाए। यदि ज़रूरी हो तो प्रसव-पूर्व निजी देखभाल और प्रसव की भी व्यवस्था की जा सकती है।
इस कार्यक्रम में सहायता देकर गर्भधारण कराने की पद्धति और एम्ब्रियोलॉजी तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिनका कई वर्षों से पूरे विश्व में व्यापक उपयोग हो रहा है। इसलिए, इससे सम्बद्ध खतरे और जटिलताएं बहुत कम और नहीं के बराबर हैं। लेकिन, जैसा कि किसी भी सर्जिकल चिकित्सा के साथ हो सकता है,संक्रमण को थोड़ा-सा खतरा रहता है और साथ ही और औषधियों की आशा से अधिक प्रतिक्रिया करने के कारण अंडाणु के गर्भाशय से बाहर विकसित होने या एकाधिक गर्भधारण, गर्भपात और गर्भाशय के अधिक उद्दीपित हो जाने का भी कुछ खतरा रहता है, जिसके कारण चिकित्सा को रद्द कर देना ज़रूरी हो जाता है। चूंकि मरीजों की उनकी पूरी चिकित्सा और गर्भावस्था के दौरान सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है, इन जटिलताओं का खतरा बहुत कम है। हम बस यह चाहते हैं कि परेशानी की किसी भी घटना, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, की जानकारी हमें फौरन दी जाए।
आश्वस्त रहें, हमारा एक ही लक्ष्य है, आपको अपनी पसन्द के लिंग का एक स्वस्थ, सामान्य शिशु देना।
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